Monday 12 July 2021

समय का मूल्य

समय का मूल्य

किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था, वह बहुत ही भला था लेकिन उसमें एक दुर्गुण था वह हर काम को टाला करता था| वह मानता था कि जो कुछ होता है ,भाग्य से होता है।



एक दिन एक साधु उसके पास आया, उस व्यक्ति ने साधु की बहुत सेवा की उसकी सेवा से खुश होकर साधु ने पारस पत्थर देते हुए कहा - मैं तुम्हारी सेवा से बहुत प्रसन्न हूं तुम बहुत गरीब हो इसलिये मैं तुम्हे यह पारस पत्थर दे रहा हूंसात दिन बाद मै इसे तुम्हारे पास से ले जाऊंगा। इस बीच तुम जितना चाहो, उतना सोना बना लेना।



Read also: 

उस व्यक्ति ने अपने घर में लोहा तलाश किया थोड़ा सा लोहा मिला तो उसने उसी का सोना बनाकर बाजार में बेच दिया और कुछ सामान ले आया। अगले दिन वह लोहा खरीदने के लिए बाजार गया, तो उस समय मंहगा मिला रहा था यह देख कर वह व्यक्ति घर लौट आया। तीन दिन बाद वह फिर बाजार गया तो उसे पता चला कि इस बार और भी महंगा हो गया है इसलिए वह लोहा बिना खरीदे ही वापस लौट गया।



उसने सोचा-एक दिन तो जरुर लोहा सस्ता होगा जब सस्ता हो जाएगा तभी खरीदेंगे। यह सोचकर उसने लोहा खरीदा ही नहीं। आठवे दिन साधु पारस लेने के लिए उसके पास आ गए व्यक्ति ने कहा मेरा तो सारा समय ऐसे ही निकल गया अभी तो मैं कुछ भी सोना नहीं बना  पाया हूं आप कृपया इस पत्थर को कुछ दिन और मेरे पास रहने दीजिए।


Read also: 



लेकिन साधु राजी नहीं हुए, साधु ने कहा तुम्हारे जैसा आदमी  जीवन में कुछ नहीं कर सकता। तुम्हारी जगह कोई और होता तो  अब तक पता नहीं क्या-क्या कर चुका होता जो आदमी समय का उपयोग करना नहीं जानता, वह हमेशा दु:खी रहता है इतना कहते हुए साधु महाराज पत्थर लेकर चले गए



शिक्षा - जो व्यक्ति काम को टालता रहता है समय का सदुपयोग करना नहीं जानता और केवल भाग्य भरोसे रहता है वह हमेशा दुखी ही रहता है।

No comments: